पन्ना
एक पन्ना था जिसमें मैने मेरा सपनों को लिखा था।
वह सपना अब नहीं हैं।
वह पन्ने में लिखा सपनों को लोगो ने मिठाया।
यह कहकर के वह तो कुछ भी नहीं है।
पर एक और पन्ना था वह मेरे दिल में,
उस पन्नों में मेरी हज़ारों सपनों को लिखा है।
उस पन्नों में दर्द, प्यार और छल भी थे।
पर आज वह पन्ना फट चुका है।
फिर से जोड़ने की कोशिश कर रहीं हूं,
पर जुड़ नहीं रहा;
उस पन्ने को फेंका, फिर एक और पन्ने में,
दर्द, प्यार, छल और फिर मैंने मेरी नाम लिखा।
उस पन्नों में हज़ारों सपनों को बचा कर रखा है।
अब में उस पन्नों की फिकर कर रहीं हूं,
जिसमें मेरा सपना और नाम लिखा है।
एक पन्ना है जिसमें मेरा नाम और सपनों को लिखा है।
-पौर्णमी कब्बिनहित्लु
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